लहराएगा तिरंगा अब सारे आस्मां पर, भारत का नाम होगा सब की जुबान पर, ले लेंगे उसकी जान या दे देंगे अपनी जान, कोई जो उठाएगा आँख हमारे हिंदुस्तान पर…!!
Har Ghar Tiranga Abhiyan | हर घर तिरंगा अभियान
हमारी आज़ादी के 75वें वर्षगांठ के शुभ अवसर पर भारत सरकार द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से ' हर घर तिरंगा अभियान ' का शुभारंभ किया है। हर घर तिरंगा अभियान में सम्मलित होने का स्वर्णिम सुअवसर प्राप्त हुआ है, और हर भारतीय को इस अभियान में अवश्य सम्मलित होना चाहिए। हमारा झंडा हमारे देश कि इन बान और शान है और हमें गर्व है कि हमारे पूर्वजों ने इस झंडे के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, और अपने आने वाले संतानों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण किया।
अब हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाले इस अभियान बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और अपने भाई-बहन, हित मित्र, अपने आस पड़ोस और समाज में इस अभियान के बारे में जागरूक कर हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करें। जिससे यह अभियान अच्छे से संपन्न हो सकें।
भारत सरकार द्वारा आयोजित हर घर तिरंगा अभियान में सम्मलित होने का एक प्रमाण पत्र भी भारत सरकार द्वारा दिया जायेगा। यह प्रमाण पत्र सिर्फ उन सौभाग्यशालियों को मिलेगा जो 13 अगस्त 2022 से 15 अगस्त 2022 तक इस अभियान में अपना रजिस्ट्रेशन करवाएंगे।
हर घर तिरंगा अभियान में सम्मलित होने के लिए भारत सरकार की वेबसाइट Harghartiranga.com पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हर घर तिरंगा
आजादी का अमृत महोत्सव को चिह्नित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा "हर घर तिरंगा" एक पहल है।
यहां आप अपने योगदान को चिह्नित करने के लिए अपने स्थान पर एक आभासी ध्वज पिन कर सकते हैं।
उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई।
युग-युग के मुरझे सुमनों में, नई-नई मुसकान भरो।
डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ नए स्वरों में गाते हैं।
गुन-गुन-गुन-गुन करते भौंरे मस्त हुए मँडराते हैं।
नवयुग की नूतन वीणा में नया राग, नवगान भरो।
कली-कली खिल रही इधर वह फूल-फूल मुस्काया है।
धरती माँ की आज हो रही नई सुनहरी काया है।
नूतन मंगलमय ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो।
सरस्वती का पावन मंदिर यह संपत्ति तुम्हारी है।
तुम में से हर बालक इसका रक्षक और पुजारी है।
शत-शत दीपक जला ज्ञान के नवयुग का आह्वान करो।
उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो।
-द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
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