Sunday 27 March 2016

Beautiful Thoughts, Aankhen talab nahi phir bhi bhar aati hain...

Beautiful thoughts  आँखे तालाब नही फिर भी भर आती है,  इगो शरीर नही, फिर भी घायल हो जाता है,  दुश्मनी बीज नही, फिर भी बोइ जाती है,  होठ कपडा नही, फिर भी सिल जाते है,  कुदरत पत्नी नही फिर भी रुठ जाती है,  बुद्वि लोहा नही, फिर भी जंग लग जाती है,  और  इन्सान मौसम नही, फिर भी बदल जाता है।….



Beautiful thoughts
आँखे तालाब नही फिर भी भर आती है,
इगो शरीर नही, फिर भी घायल हो जाता है,
दुश्मनी बीज नही, फिर भी बोइ जाती है,
होठ कपडा नही, फिर भी सिल जाते है,
कुदरत पत्नी नही फिर भी रुठ जाती है,
बुद्वि लोहा नही, फिर भी जंग लग जाती है,
और
इन्सान मौसम नही, फिर भी बदल जाता है।….

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